महापौर के चुनाव में होगा बड़ा खेल, बागी कांग्रेसी हो सकता है भाजपा प्रत्याशी
- By Vinod --
- Saturday, 20 Dec, 2025
There will be a big game in the mayoral election
There will be a big game in the mayoral election- पंचकूला। चंडीगढ़ से सटी पंचकूला स्मार्ट सिटी में आगामी नगर निगम चुनाव की बिसात बिछना शुरू हो गई है। हालांकि महापौर के चुनाव में अभी चार महीनों का समय शेष है। मगर, शहर की राजनीतिक सरगर्मियां दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही हैं। राजनीति से जुड़े उच्च पदस्थ सूत्रों से पता चला है कि पंचकूला में एक दिग्गज कांग्रेसी नेता महापौर की सीट पर बैठने के लिए ना सिर्फ पाला बदलने की तैयारी में हैं बल्कि पीएमओ से संपर्क में रहकर अपनी मौजूदगी भी सबसे पहले दर्ज करवाना चाहते हैं। यह नेता कब पार्टी का हाथ छोड़ दें कहां नहीं जा सकता, मगर सत्ता रूड़ पार्टी के लिए यह नेता जी मार्ग दर्शक भी साबित हो सकते हैं। राजनीति के उच्च स्तरीय सूत्रों की माने तो नेता जी ने पीएमओ ऑफिस में संपर्क साधने के साथ साथ पार्टी नेताओं के साथ अपनी नजदीकियां भी बढ़ा दी हैं।
ज्ञात रहे कि हाल ही में प्रशासन द्वारा 20 वार्डों की वार्डबंदी की ड्राफ्ट नोटिफिकेशन जारी कर दी गई है। हालांकि, वार्डबंदी पर सबसे पहले कांग्रेस की ओर से आपत्ति जताई गई है। महापौर का कार्यकाल 5 जनवरी को समाप्त हो रहा है, लेकिन चुनाव अप्रैल से पहले होने की संभावना कम ही है। वार्डबंदी की नोटिफिकेशन जारी होने के साथ ही भाजपा और कांग्रेस में भी महापौर की सीट पर नजर टिकाए नेताओं ने अपने आकाओं के आगे हाजरी भरनी शुरू कर दी है। अब की बार महापौर के चुनाव में ना सिर्फ भाजपा बल्कि कांग्रेस को बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। यानी पंचकूला की राजनीति में बड़ा खेल हो सकता है। जहां पर कुछ बड़ी हस्तियां कांग्रेस को बॉय बॉय कह कर भाजपा कर पल्ला पकड़ सकती हैं, वहीं टिकट से वंचित रहने वाले कुछ भाजपाई भी कांग्रेस का हाथ थाम सकते हैं।
भाजपा सूत्रों की मानें तो महापौर कुलभूषण गोयल पुन: चुनाव लडऩे के इच्छुक बताए जा रहे हैं। मगर अभी यह देखना होगा कि पार्टी महापौर गोयल को मैदान में उतारती भी है या नहीं। इधर, महापौर कुलभूषण गोयल के विरोधियों का मानना है कि कुलभूषण गोयल को चुनाव लड़ा कर पार्टी को इंकम्बेंसी के नुकसान झेलना पड़ सकता है। ऐसे में पार्टी बिहार की तरह कोई नया चेहरा चुनावी मैदान में उतार कर अपनी इंकम्बेंसी को बचाने का तिकड़म लड़ा सकती है। नगर निगम मेयर सीट के लिए भाजपा और कांग्रेस में कई दावेदार चर्चा में हैं। भाजपा की बात करें तो विधानसभा या पिछले निगम चुनाव में टिकट से चूके नेताओं में रंजीता मेहता, श्याम लाल बंसल, अनिल थापर, अजय मित्तल, दीपक शर्मा, हरिंदर मलिक, सुरेश वर्मा, विशाल सेठ, योगेन्द्र शर्मा व अन्य नेता प्रबल माने जा रहे हैं। इसके अलावा कांग्रेसी राजनीति में चर्चित चेहरे पवन जैन, रविंदर रावल, आर के ककड़, पूर्व मेयर उपिंदर कौर आहलूवालिया, सलीम डबकोरी इत्यादि प्रमुख हैं।
कांग्रेस जहां खुल कर दो गुटों में बंटी हुई है वहीं, देखना होगा कि मौजूदा विधायक एवं पूर्व उपमुख्यमंत्री चंद्रमोहन किस प्रत्याशी को मैदान में उतारने की हां भर सकते हैं। इधर, एक बात स्पष्ट है कि विधानसभा में सत्ता में आने का पूरा सपना पाले बैठी थी वो कांग्रेस न तो नगर निगम और न ही महापौर चुनाव चुनाव में कोई कोर-कसर बाकी नहीं रखेगी। पार्टियों का दमखम निगम चुनाव से पहले महापौर सीट की रिजर्वेशन पर दिखने वाला है, जहां देखना होगा कि ड्रा में पंचकूला क्षेत्र महिलाओं के लिए आरक्षित होता है या अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित होता है। उस समय काफी हद तक स्थिति स्पष्ट हो पाएगी कि पंचकूला में होने वाले मेयर पद के चुनाव पर कौन टिकट की बाजी मारने में सफल होता है।
यदि पंचकूला की सीट रिजर्व होती है तो तब कांग्रेस और भाजपा के पास कोई ऐसा मजबूत अनुसूचित जाति महिला प्रत्याशी नजर नहीं आ रही है, जो पार्टियों की नइया पार लगा सके। यानी बहुत कठिन है डगर पनघट की..। उस समय दोनों पार्टियां उन प्रत्याशियों पर दांव खेलेगी, जिनके पति राजनीति में एक्टिव हैं।